5 सितंबर सन 1962 को भारत में शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी । यह विशेष दिन देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में मनाते हैं क्योंकि राधाकृष्णन ने अपने जन्मदिन को उन शिक्षकों के नाम कर दिया जो अपने बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए हमेशा तैयार होते हैं ।उनके महान गुणों एवं आस्थावान हिन्दु विचारक होने के कारण सन 1954 मैं भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च सम्मान "भारत रत्न" से सम्मानित किया। एक शिक्षक बच्चे को उसके सुंदर और उज्जवल भविष्य के लिए ज्ञान देते हैं अपने शिष्य को समझाते हैं क्या अच्छा है और क्या बुरा है। एक जो मां होती है वह अपने बच्चे को जन्म देती है, उसे उंगली पकड़ के चलना सिखाती है ,संस्कार सिखाती है उस नाते वह बच्चों की प्रथम गुरु होती है लेकिन एक अध्यापक वास्तविक रूप में अपने विद्यार्थी को आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करता है। जब एक बच्चा अपने अध्यापक के द्वारा सिखाएं हुए ज्ञान का सही तरीके से उपयोग करता है तो जीत निश्चित है और जीतने पर जितनी खुशी बच्चे को होती है कितनी है उतनी खुशी उसके अध्यापक को भी होती है जब उसका शिष्य जीवन में कामयाब होता है। एक अध्यापक मोमबत्ती की तरह होता है जो स्वयं में प्रकाशित होता है और अपनी रोशनी से अपने बच्चे के जीवन को संभालता है।
वह बच्चे को मानसिक रूप से तैयार करता है ज्ञान रूपी रोशनी से अपने बच्चे को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है अर्थात एक अध्यापक बच्चे के भविष्य की आधारशिला एवं सफल जीवन की ढाल है ।"सोचिए यदि शिक्षक न होता तो इस संसार का क्या होता सोचने की कल्पना मात्र से ही डर लगता है शिक्षा जीवन जीने के लिए बहुत ही आवश्यक है। शिक्षा के द्वारा हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं, आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकते हैं हम अब हमें अपने शिक्षक का सम्मान करना चाहिए क्योंकि एक शिक्षक ही जो व्यक्ति है जो अपने बच्चे का सर्वांगीण विकास करता है और मानसिक रूप से कामयाबी के लिए तैयार करता ह मेरे समस्त शिक्षकों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं।।।
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