महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज व मुंबई के एक बड़े कैंसर इंस्टीट्यूट के बीच अनुबंध से मिलेगा कैंसर रोगियों को उपचार
शुभम श्रीवास्तव
झांसी, 15 अप्रैल 2021 (दैनिक पालिग्राफ)। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज और मुंबई के एक बड़े कैंसर इंस्टीट्यूट के बीच अनुबंध होने जा रहा है। पीपीपी मॉडल पर इंस्टीट्यूट मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग में कैंसर यूनिट लगाएगा। वहां के डॉक्टर आकर यहां पर रेडियोथेरेपी करेंगे। जरूरत पड़ने पर गंभीर मरीजों को कैंसर इंस्टीट्यूट रेफर भी किया जाएगा। सदर विधायक रवि शर्मा ने बताया कि उन्होंने कैंसर यूनिट के संबंध में शासन स्तर पर बात की है। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने बताया है कि मुंबई के बड़े इंस्टीट्यूट से झांसी मेडिकल कॉलेज का अनुबंध होने जा रहा है। पीपीपी मॉडल पर इंस्टीट्यूट झांसी में मशीन लगाएगा। यहां के चिकित्सक मरीजों की सिकाई करेंगे। इससे झांसी समेत बुंदेलखंड के कैंसर रोगियों को बेहतर इलाज मिल सकेगा।
बताते चलें कि मेडिकल कॉलेज में 2016 में केंद्र सरकार ने टर्सरी केयर कैंसर सेंटर (टीसीसीसी) की स्वीकृति दी थी। झांसी मेडिकल कॉलेज प्रदेश का पहला राजकीय मेडिकल कॉलेज था, जिसे इस योजना की सौगात मिली। टीसीसीसी के लिए 70 प्रतिशत राशि केंद्र और 30 फीसदी प्रदेश सरकार को खर्च करनी थी। शासन से केंद्र को फंडिंग का प्रस्ताव भेजा जाना था, जिसका पत्र नहीं भेजा जा सका। बाद में अनुबंध पर हस्ताक्षर नहीं हो सका। शासन स्तर पर लटके-लटके समयसीमा पूरी हो गई मगर यह पंच वर्षीय योजना शुरू नहीं हो सकी है। अमर उजाला ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया। इसके बाद जनप्रतिनिधि हरकत में आ गए। सदर विधायक रवि शर्मा ने इस मामले को शासन स्तर पर उठाया है। वहां से उन्हें जानकारी दी गई है कि मुंबई के एक बड़े कैंसर इंस्टीट्यूट से मेडिकल कॉलेज का अनुबंध होने जा रहा है। पीपीपी मॉडल पर इसे संचालित किया जाएगा। इंस्टीट्यूट ही यहां पर मशीनें लगाएगा। कॉलेज के डॉक्टरों की मदद से कैंसर मरीजों की सिंकाई की जाएगी। गंभीर हालात होने पर मरीजों को मुंबई रेफर भी किया जाएगा।
बता दें कि झांसी समेत बुंदेलखंड में रेडियोथेरेपी (सिकाई) की सुविधा नहीं होने की वजह से कैंसर रोगियों को इलाज के लिए मुंबई, दिल्ली, ग्वालियर, लखनऊ, कानपुर आदि शहरों की भागदौड़ करनी पड़ती है। कैंसर रोग के चलते किसी को 20 तो किसी को 35 सिकाई तक होती हैं। हर सिकाई 25 से 30 हजार रुपये खर्च आता है। जबकि, रहने और खाने-पीने में भी मरीजों का काफी पैसा खर्च होता है। ऐसे में यहां पर सिकाई की सुविधा शुरू होने से मरीजों को काफी लाभ मिलेगा।
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