नयी दिल्ली, 29 अप्रैल 2021 (दैनिक पालिग्राफ)। अंग्रेजी और हिंदी में “कायस्थ, एक एनसाइक्लोपीडिया अनकही कहानियों का” नामक पुस्तक बुधवार को ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म पर लॉन्च की गई। अपनी तरह का पहला कायस्थ इनसाइक्लोपीडिया भारत के 21 राज्यों में दो वर्षों में किए गए घोर अनुसंधान का परिणाम है, जिसके प्रमुख लेखक हैं उदय सहाय जो स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे, और इसकी सहयोगी लेखिका हैं अमेरिका में क्लीवलैंड विश्वविद्यालय में पढ़ाने बाली प्रोफेसर पूनम बाला।
पुस्तक का हिंदी में अनुवाद गांधी शांति संस्थान के वर्तमान सचिव और प्रतिष्ठित पत्रकार, अशोक कुमार द्वारा किया गया है। इन दोनों लेखकों द्वारा लिखी गयी अलग-अलग वैश्विक स्तर के प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित आधा दर्जन से अधिक पुस्तकें हैं। इस इनसाईक्लोपीडीया की एक प्रति की कीमत रु 3000 है।
इस पुस्तक की लोकार्पण की तिथि चैत्र पूर्णिमा की है जो हिंदू लेखन-देवता श्री चित्रगुप्त जी का अवतरण या प्रकट दिवस है। मान्यता है कि श्री चित्रगुप्त जी कायस्थ समुदाय के पैतृक देवता हैं, जिन्हें सभी प्राणियों के अच्छे और बुरे कार्यों के आकलन का कार्य भगवान न्रम्हा ने सौंपा है। यह महत्वपूर्ण तथ्य है कि चैत्र माह हिंदू कैलेंडर का पहला महीना है और इसका नाम कायस्थों के पैतृक देवता श्री चित्रगुप्त जी के नाम पर रखा गया है। देव नगर, करोल बाग, नई दिल्ली के श्री चित्रगुप्त जी के मंदिर में आज से दो साल पहले दवात पूजा के दिन इस पुस्तक परियोजना की परिकल्पना की गई थी। इसलिए आज उसी देवनगर मंदिर में स्थापित श्री चित्रगुप्त जी के चरणों में कायस्थ इनसाईक्लोपीडिया की पहली प्रति समर्पित की गई।
बताते चलें कि दिल्ली पुलिस के एसीपी (सदर बाजार), नीरज कुमार ने इस पुस्तक के समर्पन को अंजाम दिया। अवसर को चिन्हित करने के लिए श्री चित्रगुप्त धाम के सभी 4 मंदिरों कांचीपुरम, अयोध्या, पटना, और उज्जैन में एक साथ पूजा-अर्चना की गई।
400 पृष्ठों में, भारत के कायस्थ समुदाय के सभी रंगों को यह कायस्थ इनसाईक्लोपीडिया एक कैनवास पर उतारता है, जिसमें उनका इतिहास, प्रवासन, पौराणिक कथा, उप-जातियां, व्यंजन, और अन्य सभी विषय के विवरण शामिल है। कायस्थ समुदाय को मोटे तौर पर तीन प्रकारों में बांटा गया है: एक, उत्तर भारत के हिंदी भाषी और दक्षिण राज्यों में चित्रगुप्तवंशीय कायस्थ, दो, चंद्रसेनिया कायस्थ जो महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में फैले हैं, और तीसरे बंगाल, असम, त्रिपुरा और ओड़िसा के चित्रसेनिय कायस्थ।
ऑनलाइन और ऑन-साइट लॉन्च का मिश्रण, पुस्तक लॉन्च में आरके सिन्हा (पूर्व राज्यसभा भाजपा सांसद), सुबोधकांत सहाय (पूर्व कांग्रेस कैबिनेट मंत्री), दीपक प्रकाश (भाजपा सांसद, राज्य सभा) सहित कई राजनेता शामिल हुए थे। बिस्वाल सारंग (स्वास्थ्य मंत्री, मध्य प्रदेश सरकार), राजीव रंजन (प्रवक्ता, जेडीयू), नीरज दफतुआर (सीएम हरियाणा के प्रमुख ओएसडी), और अन्य सामुदायिक नेताओं जैसे जितेंद्र सिंह, प्रदीप माथुर (विधायक मथुरा), अमिताभ सिन्हा (पूर्व भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता), समीर गुप्ते (अखिल भारतीय चंद्रसेनीय कायस्थ महासभा), आर अरुणाचलम (अखिल भारतीय मुदालियार कायस्थ महासभा) , डीवी कृष्ण राव (अखिल भारतीय कर्णम कायस्थ महासभा, आंध्र प्रदेश), सरूप चंद्र घोष (अखिल भारतीय कायस्थ महासभा पश्चिम बंगाल) , और स्वननील बरूआ (अखिल भारतीय कायस्थ महासभा असम) शामिल थे। इस कार्यक्रम का लाईव प्रसारण फेसबुक और युट्यूब पर भी हुआ जिसमें करीब 8 हजार लोगों ने हिस्सा लिया।
बता दें कि समारोह में समापन भाषण पूर्व कैबिनेट मंत्री और बॉलीवुड के सुपर अभिनेता, शत्रुघ्न सिन्हा ने दिया।
इस पुस्तक का पूर्वावलोकन अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, इतिहासकार एंजेला व्लाकॉट, अशोक विश्वविद्यालय के संस्थापक प्रमथ राज सिन्हा, जापान में भारत के राजदूत संजय कामार वर्मा, पीपी श्रीवास्तव और मंजरी जरुहार जैसे प्रतिष्ठित सिविल सेवक विभिन क्षेत्रों में प्रतिष्ठित हस्तियों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए, प्रमुख लेखक उदय सहाय ने कहा कि “यह पुस्तक एक सामुदायिक अध्ययन है और यह कई शताब्दियों में फैली कायस्थों की गौरवशाली विरासत को संरक्षित करने का इरादा रखती है।” सह-लेखिका सुश्री पूनम बाला ने बताया कि कैसे “पुस्तक ने प्रकाशन के पहले ही अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, जापान, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, यूएई और भारत के 21 राज्यों में लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।”
भाजपा के पूर्व सांसद आरके सिन्हा ने इस अवसर पर पुस्तक के लेखकों को बधाई देते हुए कहा कि “पुस्तक सभ्यता के बदलाव और कायस्थों के प्रवासन की प्रक्रिया को समझने के लिए एक मूल्यवान दस्तावेज है।” शत्रुघ्न सिन्हा, पूर्व कैबिनेट मंत्री, ने 21 राज्यों में कायस्थों की अखिल भारतीय उपस्थिति के विषय में अपनी अज्ञानता को स्वीकार करते हुए कहा कि “कायस्थों के तीन प्रकार मौजूद थे, लेकिन वे अपनी अपनी अज्ञानता की खोली में बंद रहे, पर अब यह पुस्तक उन्हें एक साथ लाने में मददगार होगी।”
पूर्व कैबिनेट मंत्री, सुबोधकांत सहाय ने पुस्तक में उल्लेखित श्री चित्रगुप्त सर्किट के तहत कायस्थों की तीर्थ यात्रा के महत्व बताया। साथ ही उन्होंने साझा किया कि कायस्थ केवल प्रशासक और मुनीम नही रहे। उन्होने स्नोताओं को प्राचीन और प्रारंभिक मध्यकालीन भारत के पराक्रमी कायस्थ राजाओं के बारे में बताया जो कश्मीर से तमिलनाडु और गुजरात से महाराष्ट्र, और बंगाल से लेकर असम तक एक माला की तरह गुथे हुए थे।”
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