बड़ी खबर: प्रारंभिक परीक्षा 2020 को लेकर यूपीएससी और केन्द्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, मांगा जवाब, 28 सितम्बर की सुनवाई तय


शुभम श्रीवास्तव
नई दिल्ली, 26 सितम्बर 2020 (दैनिक पालिग्राफ)। यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा स्थगित करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यूपीएससी अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिका में देश में तेजी से कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और कई राज्यों में भयंकर बाढ़ की स्थिति के मद्देनजर परीक्षा स्थगित करने की मांग की गई है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 28 सितंबर को तय की है। यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा देश भर में 4 अक्टूबर को आयोजित होने जा रही है। परीक्षा के एडमिट कार्ड भी जारी कर दिए गए हैं। 
यह याचिका वासीरेड्डी गोवर्धन साई प्रकाश और अन्य ने दायर की है। याचिकाकर्ताओं ने सिविल सेवा परीक्षा परीक्षा को दो से तीन महीने के लिये स्थगित करने का अनुरोध किया है ताकि उस समय तक बाढ़ और लगातार बारिश की स्थिति में सुधार हो जायेगा और कोविड-19 संक्रमण भी कम हो जायेगा। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि महामारी की स्थिति में परीक्षा आयोजित कराना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य एवं जीवन के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
एडवोकेट अलख श्रीवास्तव के जरिए 20 यूपीएससी अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिका के मुताबिक 4 अक्टूबर को देश के 72 केंद्रों पर छह लाख से ज्यादा अभ्यर्थी 7 घंटे की परीक्षा देंगे। याचिका में कहा गया है कि महामारी के इस संकट के समय में ऑफलाइन परीक्षाएं करवाना लाखों युवा छात्रों की जिंदगी को खतरे में डालने से ज्यादा और कुछ नहीं है। देश के कई राज्यों में आई बाढ़ और लगातार बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं के चलते याचिकाकर्ताओं और उस क्षेत्र में रहने वाले अन्य बहुत से छात्रों का जीवन व स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ऐसे में संशोधित कैलेंडर पूरी तरह से अनुचित है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए ‘स्वास्थ्य के अधिकार’ व ‘जीवन के अधिकार’ का उल्लंघन करता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन एक भर्ती परीक्षा है। यह अकादमिक परीक्षाओं से अलग है। इसमें देरी से अकादमिक सत्र में देरी नहीं होगी। 
याचिका में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों के बावजूद भी यूपीएससी ने परीक्षा केंद्र नहीं बढ़ाए हैं। इसके कारण ग्रामीण क्षेत्र के बहुत से परीक्षार्थियों को मजबूरन 300-400 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ेगी। सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते समय इन परीक्षार्थियों के संक्रमित होने की आशंका है।’ 
बताते चलें कि यूपीएससी ने परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों के लिए एग्जाम में मास्क या फेस कवर पहनना अनिवार्य बना दिया है। आयोग ने कहा है कि परीक्षार्थी पारदर्शी बोतलों में सैनिटाइजर भी ला सकते हैं। बिना मास्क के किसी भी परीक्षार्थी को परीक्षा केन्द्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जायेगी। परीक्षार्थियों को कोविड-19 के नियमों का पालन करना होगा। उन्हें परीक्षा हॉल/कमरों के साथ परिसरों में भी सामाजिक दूरी का पालन करना होगा।
इस वर्ष प्रारंभिक परीक्षा 31 मई को होनी थी लेकिन कोरोना वायरस व लॉकडाउन के कारण इसे टाल दिया गया था।
बता दें कि यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के जरिए इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज (आईएएस), भारतीय पुलिस सर्विसेज (आईपीएस) और भारतीय फॉरेन सर्विसेज (आईएफएस), रेलवे ग्रुप ए (इंडियन रेलवे अकाउंट्स सर्विस) सहित अन्य सेवाओं के लिए चयन किया जाता है। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा तीन चरणों -- प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार-- में आयोजित की जाती है। मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में प्रदर्शन के आधार पर फाइनल मेरिट लिस्ट जारी होती है। 


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