कानपुर गोलीकांड : विकास की गिरफ्तारी या सरेंडर? जानें सच ..., गिरफ्तारी पर शहीद के परिजनों ने उठाए सवाल 


शुभम श्रीवास्तव
कानपुर, 09 जुलाई 2020, (दैनिक पालिग्राफ)। कानपुर शूटआउट के मास्टरमाइंड विकास दुबे की गिरफ्तारी या सरेंडर की गुत्थी उलझती जा रही है। जानकारी मिली है कि कल रात साढ़े दस बजे के आसपास उज्जैन के डीएम आशीष सिंह और एसपी मनोज कुमार भारी हड़बड़ाहट में उज्जैन के महाकाल मंदिर पहुंचे थे। सवाल उठ रहा है कि क्या इसका विकास की गिरफ्तारी से कोई संबंध है? इस बीच खबर है कि उज्जैन पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लिया है। इसमें एक स्थानीय नागरिक है। सूत्रों ने बताया कि विकास दुबे ने दो वकीलों से मुलाकात की थी और इन्हीं ने विकास दुबे को उज्जैन पहुंचाने में मदद की थी। इन्हीं दोनों वकीलों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
उज्जैन के डीएम आशीष सिंह ने एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए दावा किया कि विकास दुबे को गिरफ्तार किया गया है। मंदिर के दुकानदार ने विकास की पहचान की और इसके बाद गार्ड ने भी उसकी शिनाख्त की, फिर उसे पकड़ लिया। बाद में स्थानीय पुलिस ने विकास दुबे को गिरफ्तार कर लिया। एक चैनल को मिली जानकारी के मुताबिक, विकास दुबे सुबह महाकाल मंदिर पहुंचा। उसने पर्ची कटाई और दर्शन किया। फिर उसने गार्ड से कहा कि मैं विकास दुबे हूं, कानपुर वाला। गार्ड ने पुलिस को सूचना दी। तब तक विकास दुबे वही मौजूद रहा। पुलिस आई और विकास दुबे को गिरफ्तार करके ले गई। 
सवाल उठ रहा है कि जिस विकास दुबे को उत्तर प्रदेश पुलिस की 50 से अधिक टीमें पिछले 6 दिन से तलाश कर रही थी, उसे महाकाल मंदिर के गार्ड ने कैसे पकड़ लिया। जानकारों के मुताबिक, विकास दुबे ने प्लान बनाकर सरेंडर किया, ताकि उत्तर प्रदेश उसके खिलाफ बड़ी कार्रवाई न कर पाए।
कानपुर गोलीकांड का आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया है। एनकाउंटर के सातवें दिन विकास को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार किया गया, बताया जा रहा है कि उसने खुद ही स्थानीय मीडिया और पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। इसके साथ ही इस मामले पर पुलिस पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं। दरअसल, 2 जुलाई को कानपुर में शहीद हुए औरैया और मथुरा के सिपाहियों के परिजन इस पूरे मामले में संतुष्ट नहीं हैं। राहुल की बहन नंदनी ने सवाल उठाया है कि इतनी चेकिंग के बावजूद भी विकास दुबे वहां तक कैसे पहुंच गया। कल तक तो कहा जा रहा था वह फरीदाबाद में है। जब बॉर्डर सील है तो उज्जैन कैसे पहुंचा। उन्होंने कहा कि कहीं पुलिस तो उसकी मदद नही कर रही है। वर्दी में छिपा भेड़िया विनय तिवारी जिसने अपने सहयोगियों के साथ गद्दारी की और विकास की अंत तक मदद हो रही है उससे मैं संतुष्ट नहीं हूं। विकास को ऑन स्पॉट शूट किया जाए और पुलिस विभाग के गद्दारों को सजा दी जाए। शहीद राहुल के पिता ओम कुमार ने कहा कि वह वहां तक पहुंचा कैसे, इसकी जांच होनी चाहिए।
इसके अलावा मथुरा के शहीद सिपाही जितेंद्र के परिजन भी संतुष्ट नही हैं। जितेंद्र के पिता तीर्थ पाल ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि उसने अपने आप को पूरी तरह से बचा लिया और उसने इस तरह से गिरफ्तारी दे दी। हम चाहते हैं कि उसको बीच चैराहे पर लाकर सभी के सामने गोली मारी जाए।
बता दें कि, 2 जुलाई की रात आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की वारदात के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस लगातार विकास दुबे के गुर्गों की धरपकड़ करती रही, लेकिन वह लगातार चकमा दे रहा था। करीब 6 दिन बीत जाने के बाद भी विकास दुबे का अता-पता नहीं चल पाया था। अचानक 9 जुलाई को सुबह 10 बजे उसने उज्जैन में सरेंडर किया, तब जाकर पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया।
कांग्रेस ने लगाए गंभीर आरोप
विकास दुबे की गिरफ्तारी और सरेंडर की गुत्थी के बीच कांग्रेस ने बड़ा आरोप लगाया है। कांग्रेस का कहना है, ‘आप क्रोनोलाॅजी से जुड़े कुछ तथ्य समझिए, विकास दुबे उज्जैन से गिरफ्तार हुआ, नरोत्तम मिश्रा मध्यप्रदेश के गृह मंत्री हैं, नरोत्तम मिश्रा उज्जैन के प्रभारी मंत्री हैं, नरोत्तम मिश्रा कानपुर चुनाव में प्रभारी थे, विकास दुबे कानपुर का रहने वाला है।’


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