झांसी: बीजेपी शासन में महाघोटाला, किसानों के साथ की गई ठगी, डब्ल्यूएचबी एवं एनएमएसए परियोजनाएं चढ़ीं भ्रष्टाचार की भेंट


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  • किसानों ने लगाया बीएसए मैदानी सुधीर कुमार पर बजट के बंदरबांट करने का आरोप

  • किसानों ने उच्चाधिकारियों से की बीएसए सुधीर कुमार पर दण्डात्मक कार्यवाही करने की मांग



शुभम श्रीवास्तव
झांसी, 24 मई 2020 (दैनिक पालिग्राफ)। बुन्देलखण्ड में राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन भ्रष्टाचारी अधिकारियों के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। जनपद झांसी में कृषि विभाग भ्रष्टाचार का केन्द्र बन चुका है। बुन्देलखण्ड में केन्द्र सरकार द्वारा किसानों को लाभ पहुंचाने हेतु कई योजनाओं को चलाया जा रहा है। उन्हीं में से पण्डित दीनदयाल उपाध्याय वाटर हार्वेस्टिंग चेकडैम (डब्लू०एच०बी०) एवं राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) जैसी दो बढ़ी परियोजनाओं को भी किसानों के लाभ हेतु संचालित किया गया है। लेकिन जनपद में भ्रष्ट अधिकारियों के राज के चलते ऐसा होना मुश्किल है कि सही पात्र किसानों को लाभ दिया जा सके। एक और जहां केन्द्र सरकार किसानों के हित की बात करती है तथा किसान हित में कई लाभकारी योजनाओं को लागू करती है तो वहीं दूसरी ओर भ्रष्ट अधिकारियों के चलते किसानों के लिए इन लाभकारी योजनाओं को धरातल स्तर पर न लाकर सिर्फ कागजों में ही पूर्ण कर लिया जाता है। 
इन परियोजनाओं का जब रियलिटी चैक करने पालिग्राफ न्यूज की टीम ग्राम बछेह, सेमरी, रगौली, पुरैनिया, परसुवा, खर्का व झाबरा आदि गांवों में पहुंची तो कहीं भी पण्डित दीनदयाल उपाध्याय वाटर हार्वेस्टिंग चेकडैम (डब्लू०एच०बी०) एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (एनएमएसए) जैसी दो बड़ी परियोजनाओं को मानकों के आधार पर पूर्ण नहीं किया गया। बताते चलें कि कहीं कहीं तो उक्त परियोजनाओं का नामो निशान भी नहीं मिला। 
जब हमारी टीम ने उक्त ग्रामों के ग्रामीणों से उक्त घोटाले के बारे में जानकारी ली तो गांव के किसानों ने एक सुर में भूमि संरक्षण अधिकारी मैदानी सुधीर कुमार पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए प्रशासन तथा शासन से दण्डात्मक कार्यवाही की गुहार लगाई है। 
पण्डित दीनदयाल उपाध्याय वाटर हार्वेस्टिंग चेकडैम (डब्लू०एच०बी०) की योजना को लेकर किसानों ने बीएसए मैदानी सुधीर कुमार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए दोषी मानकर दण्डात्मक कार्यवाही की मांग की.
परसुआ, झाबरा, बचेह, खर्का ग्रामों में बुन्देलखण्ड पैकेज के अन्तर्गत पण्डित दीनदयाल उपाध्याय वाटर हार्वेस्टिंग चेकडैम (डब्लू०एच०बी०) की योजना को सिर्फ एक अमलीजामा पहना गया है। जब हमारी पालिग्राफ न्यूज की टीम ने रियलटी चैक कर स्थिति का हाल जानने के लिए उक्त ग्रामों में पहुंची तो वहां उपस्थित किसानों ने बीएसए मैदानी के ऊपर भ्रष्टाचार का घोर आरोप लगाते हुए कहा कि कृषकों के खेत में उक्त परियोजना को सिर्फ अमलीजामा पहनाया गया है एवं धरातल स्तर पर देखने पर पाया गया कि कार्य अधूरे ही पडे़ हुए हैं डब्ल्यूएचबी योजनान्तर्गत मानकों अनुसार कहीं भी कार्य सही नहीं पाया गया। 
ताज्जुब की बात यह है कि उक्त कार्य को पहले ही सही तरीके से पूर्ण हो जाना था परन्तु मई माह तक भी यह कार्य अपूर्ण पड़े हुए हैं और बीएसए मैदानी सुधीर कुमार जी शासन द्वारा उक्त परियोजनाओं के बजट का बंदरबांट कर गहरी नींद में सो रहे हैं। 
इतना बढ़ा घोटाला बीजेपी शासन की नाक के नीचे हो रहा है और उच्चाधिकारी इससे अनजान बने हुए हैं अब देखना यह है कि प्रशासन एवं शासन की छवि धूमिल करने वाले इन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जिन्होंने किसानों जैसे गरीब तबके के लोगों का पैसा बंदरबांट कर हजम कर लिया है उनके खिलाफ तथा इस घोटाले को संज्ञान में लेकर उच्चाधिकारी क्या कठोरतम कार्यवाही करते हैं। 
बुन्देलखण्ड पैकेज के अन्तर्गत पण्डित दीनदयाल उपाध्याय वाटर हार्वेस्टिंग चेकडैम (डब्लू०एच०बी०) की योजना का संक्षिप्त विवरण-
नीति आयोग के द्वारा बुन्देलखण्ड पैकेज अन्तर्गत बुन्देलखण्ड क्षेत्र में वाटर हार्वेस्टिंग चेकडैम रु० 2525.00 लाख की योजना की स्वीकृति प्रदान की गयी थी। शासन ने इस क्रम में वर्ष 2018-19 हेतु रु० 1225.00 लाख की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गयी।
इस योजना का उद्देश्य बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जनपदों में वाटर हार्वेस्टिंग चेकडैम का निर्माण कर वर्षा जल का संचयन करना, संचित वर्षा जल से जीवन रक्षक सिंचाई उपलब्ध कराकर फसलोत्पादन में वृद्धि करना तथा सिंचन क्षमता में वृद्धि एवं सिंचाई की लागत में कमी लाकर कृषकों की आय में वृद्धि करना है। 
लेकिन जिस तरह बुन्देलखण्ड के जनपद झांसी मंे इस योजनान्तर्गत केन्द्र सरकार द्वारा जारी किए पैकेज का बंदरबांट किया है उसको देखकर बीजेपी शासन में भी ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के हौंसले बुलन्द दिखाई दे रहे हैं। जब तक ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कोई दण्डात्मक कार्यवाही नहीं की जाएगी। तब तक पात्र किसानों को किसी भी लागू की गई योजना का लाभ धरातल स्तर पर नहीं मिल सकेगा।
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन को भी लेकर किसानों ने बीएसए मैदानी सुधीर कुमार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए दोषी मानकर उच्चाधिकारियों से दण्डात्मक कार्यवाही की मांग की
बताते चलें कि जलवायु परिवर्तन के इस युग में कृषि उत्पादकता को सतत बनाना बहुत ही आवश्यक है लेकिन प्राकृतिक संसाधनों जैसे मृदा एवं जल की गुणवत्ता और उपलब्धता पर भी निर्भर करता है कृषि विकास को समुचित स्थिति विशिष्ट उपायों के माध्यम से इन दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और सतत प्रयोग को बढ़ावा देकर संधारणीय बनाया जा सकता है। भारत सरकार ने बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत उपयुक्त अनुकूलन और शमन उपायों के माध्यम से भारतीय कृषि को जलवायु अनुकूल उत्पादन प्रणाली में बदलने के लिए बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन की शुरुआत हुई थी।
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के उद्देश्य
1. कृषि को स्थान विशिष्ट एकीकृत/संयुक्त कृषि प्रणालियों को बढ़ावा दे कर और अधिक उत्पादक, सतत, लाभकारी और जलवायु प्रत्यास्थ बनाना।
2. समुचित मृदा और नमी संरक्षण उपायों के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना।
3. मृदा उर्वरता मानचित्रों, बृहत एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों के मृदा परीक्षण आधारित अनुप्रयोक्ता समुचित उर्वरकों के प्रयोग इत्यादि के आधार पर व्यापक मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पद्धतियां अपनाना ।
4. प्रति बूंद अधिक फसल हासिल करने के लिए व्याप्ति बढ़ाने हेतु कुशल जल प्रबंधन के माध्यम से जल संसाधनों का इष्टतम उपयोग।
5. जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और अल्पीकरण के क्षेत्र में अन्य चालू मिशनों अर्थात राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं प्रौद्योगिकी मिशन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय कृषि जलवायु प्रत्यास्थता पहल (एनआईसीआरए) इत्यादि के सहयोग से किसानों एवं पणधारियों की क्षमता बढ़ाना ।
6. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम (मनरेगा), एकीकृत पनधारा कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी), आरकेवीवाई इत्यादि जैसी अन्य स्कीमोंध्मिशनों से संसाधनों को लेकर और एनआईसीआरए के माध्यम से वर्षा सिंचित प्रौद्योगिकियों को मुख्य धारा में लाते हुए वर्षा सिंचित कृषि की उत्पादकता सुधारने हेतु चयनित ब्लाकों में प्रायोगिक मॉडल, और एनएपीसीसी के तत्वाधान में राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के मुख्य प्रदेयों को पूरा करने हेतु प्रभावी अंतर और आंतरिक विभागीय/मंत्रालय समन्वय स्थापित करना।


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