नोएडा: तीसरे रंग महोत्सव का हुआ धमाकेदार समापन



नोएडा, 18 फरवरी 2020 (दैनिक पालिग्राफ)। महोत्सव के अंतिम दिन सात नाटक और 13 नुक्क्ड़ नाटक का मंचन हुआ, यह महोत्सव ड्रामाटर्जी थिएटर ग्रुप, ईशान म्यूजिक कॉलेज व सेवंथ रूट एंटरटेनमेंट के द्वारा आयोजित किया गया, और कला और रंग मंच के प्रोत्साहन के लिए नोएडा क्षेत्र में यह एक सतत प्रयास किया। पंजाब से नटरंग, सहरानपुर से अभिनय मित्र, जयपुर से आयी टीम सहित दिल्ली से कर्मा क्रिएशन, डीटीयू आदि टीमों के नाटक हुए। नाटकों की समाप्ति के बाद सम्मान और पुरुस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डीन शारदा युनिवर्सिटी से पौलीन शर्मीला, प्रमोद कुमार ज्वाॅइंट सेक्रेटरी उत्तर प्रदेश ओलिंपिक एसोसिएशन, आदि मौजूद थे। साथ की थिएटर में सक्रिय रंगकर्मियांे को सम्मानित किया गया। काजल सूरी को जोहरा सहगल नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया। सुप्रिया पाहुजा को सुधा शिवपुरी नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया। हिसार से विश्वदीपक तिरखा को भीष्म साहनी, सुरेंदर सागर को महेंद्र मेवाती रंग सम्मान, सहित अलवर राजस्थान से देशराज मीणा को सबदर हाशमी रंग सम्मान से सम्मानित किया गया। इस मोहत्सव में सात राज्यों की कुल 78 टीमों ने हिस्सा लिया था, 38 मंचीय और 35 नुक्क्ड़को नाटक के मंचन हुए। 
इस रंग महोत्सव में नुक्कड़ नाटक, मंच के नाटक के साथ-साथ प्रथम बार साहित्य का भी मंच आयोजित किया गया। हिंदी जरूरी है के नाम से। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के पुरोधा को आमंत्रित कर उनसे हिंदी जरूरी है और उनके इसमें उनके योगदान के विषय में बातचीत की गई। बातचीत करने वालों में प्रमुख नाम रविंद्र प्रताप ,विशाल पांडे, दिव्य पांडेय, तान्या लंबा और मुक्यतः सारिका पंकज का नाम रहा। जबकि अतिथि गणों में एक न्यूज चैनल पत्रकार, साहित्यकार, व राष्ट्रीय कवि पंकज शर्मा, एक समाचार पत्र की वरिष्ठ पत्रकार शशि प्रभा तिवारी, वरिष्ठ लेखिका व साहित्यकार चंद्रकांता जी, प्रसिद्ध रंगकर्मी अरविंद गौड़, समाज सेवी नीरज तिवारी, आलोचक डॉ रश्मि रावत नाम प्रमुख रहे
मंचीय नाटकों में प्रियोगिता का प्रथम नाटक-नाटक डाकघर रहा। जोकी जज्बा थिएटर दिल्ली द्वारा किया गया। दूसरे पायदान पर हिन्दू कॉलेज की सोसाइटी इब्तिदा का नाटक रब्त रहा। वहीं तीसरे पायदान पर डीटीयू की सोसाइटी प्रतिबिम का नाटक कांड रहा। वही बेस्ट एक्टर प्रिंस सिंह राजपूत रहे तथा बेस्ट एक्ट्रेस कंचन तोमर रही। बेस्ट डारेक्टर हिंमत सिंह नेगी रहे तथा बेस्ट कॉमेडी प्ले ड्रामानोमिक्स का फैमली रहा। बेस्ट कॉमेडी प्ले सेकंड राजधनी कॉलेज अरसनिक एंड ओल्ड लेस वही थर्ड कॉमेडी प्ले अभिव्यक्ति का फेक कैफे रहा।
 इस मोके पर मीनाक्षी पाहुजा, डी डी न्यूज संपादक संगीता अग्रवाल, थिएटर आर्टिस्ट अरविन्द गोंड, हरीउशा फाउंडेशन से दीपक पुंढीर, आल इंडिया रेडियो की उद्घोषक सारिका पंकज, विशाल पांडेय, ड्रामाटर्जी थिएटर ग्रुप से सुनील चैहान, सेवंथ रुट एंटरटेनमेंट से रविंद्र प्रताप सिंह व ईशान म्यूजिक कॉलेज से आदित्य श्रीवास्तव आदि मौजूद थे।
‘‘हिन्दी जरुरी है’’ ...
14 से 17 फरवरी 2020 तक तीसरे नोएडा रंग महोत्सव ने अपने विभिन्न रंगों से महोत्सव की महता को उच्च श्रेणी का कार्यक्रम प्रमाणित करते हुए संपूर्ण कर लिया। इस रंग महोत्सव में नुक्कड़ नाटक, मंच के नाटक के साथ-साथ प्रथम बार ‘‘हिंदी जरूरी है’’ के नाम से साहित्य का भी मंच आयोजित किया गया। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के पुरोधा को आमंत्रित कर उनसे हिंदी जरूरी है और उनके इसमें उनके योगदान के विषय में बातचीत की गई। बातचीत करने वालों में प्रमुख नाम रविंद्र प्रताप ,विशाल पांडे, दिव्य पांडेय, तान्या लंबा और मुख्यतः सारिका पंकज का नाम रहा। जबकि अतिथि गणों में न्यूज चैनल के पत्रकार, साहित्यकार, व राष्ट्रीय कवि पंकज शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार शशि प्रभा तिवारी, वरिष्ठ लेखिका व साहित्यकार चंद्रकांता, प्रसिद्ध रंगकर्मी अरविंद गौड़, समाज सेवी नीरज तिवारी, आलोचक डॉ रश्मि रावत नाम प्रमुख रहे जिनकी बातचीत का एक सार महत्वपूर्ण बिंदु हिंदी कि महत्ता को समझना और उसके वास्तविक स्वरूप को अपने जीवन में उतारना रहा। हिंदी हमेशा से भारत वर्ष की संस्कृति का प्रारूप रही है और रहेगी। मिट्टी से जुड़ी देशज भाषाओं की जननी हिंदी ही है तथा हिंदी की सहजता उसे संपर्क माध्यम के लिए सबसे अधिक प्रसार वाली भाषा बनाती है। राष्ट्रीय भाषा होने के बावजूद इसकी लोकप्रियता इसके विस्तार के मुकाबले कम रहती है। जिसको लेकर कई साहित्यकारों ने इस मंच से चिंता भी जाहिर की। कार्यक्रम प्रमुख रविंद्र प्रताप ने अतिथियों को सम्मानित किया व आभार व्यक्त करते हुए अगले वर्ष पुनः इस मंच के आयोजन का करार भी किया। देश के विभिन्न हिस्सों में हिंदी के प्रसार और प्रचार के लिए उसकी मूलभूत सहजता को स्वीकार करने की जो जरूरत है उस मकसद में रंग महोत्सव के साहित्यिक मंच ‘‘हिंदी जरूरी है’’ ने एक अंगद कदम रखा है अपने इस सुकृति के लिए वह हमेशा संकल्प बाद वह कटिबद्ध रहेगा।


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