झांसी, 16 अक्टूबर (दैनिक पालिग्राफ)। उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा कि फूड टेक्नोलाॅजी में रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हंै। ऐसे में प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में फूड टेक्नोलाॅजी की पढ़ाई की व्यवस्था होनी चाहिए। वे बुधवार को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट आॅफ फूड टेक्नोलाॅजी के तत्वावधान में विश्व खाद्य दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विशेष संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में उपस्थित विद्यार्थियों और शिक्षकों को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि यदि पूरे देश के वैज्ञानिक एकजुट होकर कार्य करें तो भारत दुनिया को खाद्य संकट से निजात दिलाने के अभियान की अगुवाई कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू की गई कौशल विकास योजना का उल्लेख करते हुए द्विवेदी ने कहा कि वह दिन दूर नहीं कि जब पूरी दुनिया खाद्य समस्या के निपटारे के लिए भारत पर निर्भर होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में भारत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को विकसित कर किसानों की आय बढ़ाने में सक्षम होगा। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि पूर्व में हम अन्नदाता को जरूरी सुविधाओं और तकनीकी की जानकारी नहीं दे सके। नीतिगत खामियों के चलते देश का विकास एकांगी, अनियोजित और अनियंत्रित रहा। कुछ गिने चुने शहरों को ही विकास का मौका मिला। अब सरकार इस दिशा में सतर्क है। आने वाले समय मंे बेहतरीन नतीजे मिलने की उम्मीद है।
संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय पदाधिकारी श्रीहरि बोरीकर ने फूड टेक्नोलॅाजी के विद्यार्थियां का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी। तब देश के विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत युवाओं को शोध के लिए बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जा सकेंगी। उन्होंने देश की अधिकतम आबादी को नई तकनीकी और वैज्ञानिक प्रविधियों से जोड़ने का आह्वान किया। साथ ही यह भी कहा कि प्रयोगशालाओं में होने वाले अनुसंधान को धरातल पर पहुंचाया जाए ताकि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को और समृद्ध बनाया जा सके। उन्होंने कम से कम खर्च और स्थान पर खाद प्रसंस्करण उद्योग लगाने के तौर तरीके खोजने और उनसे अधिकाधिक लोगों को जोड़ने पर बल दिया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे. वी. वैशम्पायन ने कहा कि आने वाले समय मंे फूड टेक्नोलाॅजी के माध्यम से ही कृषि क्षेत्र का समुचित विकास होगा। उन्होंने कहा कि यदि हम विभिन्न खाद्यान्नों, फल और सब्जियों के प्रसंस्करण उद्योग को समृद्ध करें तो इससे किसानों को लाभ होगा। हम प्रसंस्करित उत्पादों को दुनिया में निर्यात कर देश की जीडीपी में योगदान कर सकेंगे। निर्यातोन्मुखी उत्पाद बनाने के लिए न्यूट्रीशनल वैल्यू, ड्यूरेबिलिटी और टेस्ट का हमें पूरा ध्यान रखना होगा। कुलपति प्रो. वैशम्पायन ने इस बात का उल्लेख भी किया कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को राज्य की ओर से एक पैसे का भी अनुदान नहीं मिलता है। ऐसे में गुणवत्ता, शोध और विस्तार की गतिविधियों के संचालन में खासी दिक्कतें आती हैं। सारे खर्च उन्हें स्वयं की आय से ही करने पड़ते हैं। उन्होंने बुविवि की खूबियों का जिक्र करते हुए बताया कि उनके यहां अनेक ऐसे पाठ्यक्रम संचालित हो रहे जो दूसरे विश्वविद्यालयों में नहीं हैं। शुरुआत में डा. डीके भट्ट ने विश्व खाद्य दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों का ब्यौरा पेश करते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस कार्यक्रम का संचालन डा. अचला पाण्डेय ने किया।
इस कार्यक्रम मंे अधिष्ठाता विज्ञान संकाय प्रा.े एम.एम. सिंह, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. देवेश निगम, मुख्य कुलानुशासक डा. आरके सैनी, प्रो. अपर्णा राज, प्रो. प्रतीक अग्रवाल, डा. सौरभ श्रीवास्तव, डा. पुनीत बिसारिया, डा. मुन्ना तिवारी, डा. मुहम्मद नईम, डा.नूपुर गौतम, उमेश शुक्ल, सतीश साहनी, राघवेंद्र दीक्षित समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।
इस अवसर पर अतिथियों ने विश्व खाद्य दिवस पर आयोजित विविध प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्कार देकर सम्मानित किया। डिबेट में प्रियांशु संखवार प्रथम रहा। वहीं प्रश्नोत्तरी में जागृति कुशवाहा और कविता तथा सलाद मेकिंग में अलकनंदा और नैंसी प्रथम रही। बेस्ट क्यूजिन में अवनीश और निधि प्रथम रहे। मेगा इवेंट का पुरस्कार अर्जित गुप्ता को मिला।
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