झांसी, 30 अक्टूबर (दैनिक पालिग्राफ)। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में बुधवार को नये विभागाध्यक्ष के रूप में डा. पुनीत बिसारिया ने कार्यभार ग्रहण किया।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय प्रो. जे.वी. वैशम्पायन ने नये एवं पूर्व दोनों विभागाध्यक्षों को बधाई देते हुए कहा कि उच्च शैक्षणिक स्तर पर प्रत्येक तीन वर्ष पर विभागाध्यक्ष बदलने की परम्परा सन् 2008 से प्रारम्भ हुई थी। इससे विभाग के प्रत्येक सदस्य को विभाग के लिये अपने स्तर पर कार्य करने का अवसर मिलता है। कभी-कभी विभाग के शिक्षकों में आपसी मतभेद होतें हैं पर मनभेद नहीं होने चाहिये। हमें इस प्रक्रिया के सकारात्मक पहल के रूप में देखना चाहिये। कुलपति ने कहा कि टीमवर्क ही किसी भी विभाग के लिए सफलता का मन्त्र है। टीमवर्क से ही कोई भी विभाग अथवा संस्थान का अध्यक्ष अपने दायित्वों के निर्वहन में सफल हो सकता है।
पूर्व विभागाध्यक्ष डा मुन्ना तिवारी ने कहा कि तीन वर्श पूर्व जब विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग की शुरूआत हुई उस समय विभाग भुगर्भ विभाग में चलता था और कुल नौ विद्यार्थी थे। आज विभाग के पास सभी सुविधाओं हेतु अपना भवन है। शोधार्थियों एवं छात्र-छात्राओं की संख्या भी संतोषजनक है। उन्होंने पिछले तीन वर्षोें की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आज बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की प्रदेश एवं देश में अलग पहचान है। डा.तिवारी ने उनके कार्यकाल में सहयोग हेतु विभाग के सभी शिक्षकों तथा गैर शैक्षणिक कर्मचारियों का धन्यवाद देते हुए कहा कि विभाग की उपलब्धि सभी के समन्वित प्रयास का ही परिणाम है।
नवनियुक्त विभागाध्यक्ष डा पुनीत बिसारिया ने शुभकामनाओं के लिये सभी का आभार जताया। उन्होंने आगामी कार्यकाल के संबध में कहा कि विभाग के सभी शिक्षक मिलकर इसे और आगे ले जाने के लिये कटिबद्ध हैं। उन्होंने अंतरविषयात्मक शोध को बढ़ाने पर बल दिया। इसके साथ ही बुन्देली साहित्य पर योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की बात की तथा बुन्देलखण्ड के साहित्यकारों पर शोध एवं नवोन्मेषी विषयों पर अनुसंधान को आगे ले जाने को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया।
उल्लेखनीय है कि डा. पुनीत बिसारिया बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में 2016 से सह आचार्य के पद पर कार्यरत हैं। पूर्व में वे बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय से ही संबद्ध नेहरू पीजी कालेज, ललितपुर में सन् 2003 से 2016 तक सह आचार्य के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। डा. बिसारिया द्वारा 30 से अधिक पुस्तकों का लेखन एवं संपादन किया गया है, जिनमें बुन्देली काव्यधारा, शोध कैसे करें, वेदबुक से फेसबुक तक स्त्री, भारतीय सिनेमा का सफरनामा, आतंकवाद पर बातचीत, समकालीन उच्च शिक्षा की चुनौतियां, बुन्देली महिमा, भोजपुरी विमर्श, युवाओं की दृश्टि में गाँधी, जिन्ना का सच प्रमुख हैं। देश विदेश के विभिन्न प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं में डा. बिसारिया के 50 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं एवं उन्होंने अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं का संपादन किया है। डा. पुनीत बिसारिया सिनेमा तथा समकालीन साहित्यिक विमर्श एवं बुन्देली के विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते हैं तथा नवीन विषयों पर लेखन हेतु उनकी ख्याति है।
डा. पुनीत बिसारिया के हिन्दी विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यभार ग्रहण करने के अवसर पर आयोजित समारोह में वरिष्ठतम आचार्य प्रो वी के सहगल, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. देवेश निगम, अधिष्ठाता अकादमिक प्रो. एस.पी. सिंह, अधिष्ठाता कला संकाय प्रो सी.बी. सिंह, मुख्य कुलानुशासक प्रो. आर के सैनी, अधिष्ठाता विज्ञान संकाय प्रो एम. एम. सिंह, प्रो अर्चना वर्मा, डा. आलोक वर्मा, डा. सौरभ श्रीवास्तव, डा. विनीत कुमार, डा. अचला पाण्डेय, डा. कौशल त्रिपाठी, डा. ऋषि सक्सेना, डा. अमरेश सिंह, डा. अंकित श्रीवास्तव, डा. भुवनेश्वर सिंह, सतीश साहनी, कमलाकांत उपाध्याय, सतीश कुमार, इन्द्र कुमार, प्रीति देवी मौर्य, संजय कुमार, जितेन्द्र उपाध्याय, अनुज पाल, रामकुमार, मनीष मण्डल के साथ अन्य छात्र एवं छात्राएं उपस्थित रहे।
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